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सरकारी स्कूल के बच्चों को मुफ्त किताबें मिल रही हैं | जल्दी देखें, आपको मिलेगा या नहीं

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए खुशखबरी है। सरकार ने शिक्षा को आसान और सुलभ बनाने के लिए मुफ्त किताबें देने का अभियान शुरू किया है। इससे बच्चों को पढ़ाई में मदद मिलेगी और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ कम होगा। यह योजना खासतौर पर उन बच्चों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन जुटा पाना उनके लिए मुश्किल होता है।

अगर आपका बच्चा भी सरकारी स्कूल में पढ़ता है, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत आपको पता चलेगा कि आपकी बच्ची या बच्चा मुफ्त किताबों का लाभ प्राप्त कर पाएगा या नहीं। इसलिए, जल्दी से जांचें और सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को इस सुविधा का फायदा मिल रहा है या नहीं।

सरकारी स्कूलों में किताबों का वितरण शुरू

राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को किताबें बांटने का काम शुरू हो गया है। किताबों की गुणवत्ता की तुरंत जांच की जाएगी और अगर कोई किताब खराब पाई गई तो उसे तुरंत बदल दिया जाएगा। अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जानकारी दी कि प्रत्येक स्कूल में किताब वितरण की ज़िम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को सौंपी गई है।

वितरण प्रक्रिया और निगरानी

किताबों के वितरण का पूरा डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा। किताबें पहले बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) तक पहुंचेंगी और फिर हर कक्षा के क्लास टीचर बच्चों को किताबें देंगे। वितरण के दौरान तस्वीरें भी ली जाएंगी ताकि हर चरण का रिकॉर्ड रहे।

इस बार स्कूली बच्चों के लिए 12 करोड़ से ज्यादा किताबें छपवाई गई हैं। किताबों की छपाई का काम सितंबर से शुरू होकर फरवरी के आखिरी सप्ताह तक चला। फिर मार्च के आखिरी हफ्ते में इन्हें डीईओ कार्यालयों में भेजा गया, और 15 अप्रैल तक ये सभी बीईओ कार्यालयों तक पहुंच गईं।

1.87 करोड़ छात्रों को मिलेंगी किताबें

राज्य के 71 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले 1.87 करोड़ छात्रों को किताबें दी जाएंगी। हर कक्षा के लिए अलग-अलग सेट बनाए गए हैं ताकि वितरण में कोई समस्या न हो।

सोमवार को शिक्षा विभाग में एक बैठक हुई जिसमें खाली पदों की स्थिति, किताब वितरण, कोर्ट केस, आरटीई के तहत नामांकित बच्चों की रिपोर्ट और सूचना के अधिकार से जुड़े मामलों पर चर्चा की गई।

कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को अभ्यास पुस्तिका भी मिलेगी

बिहार में पहली बार कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को किताब के साथ-साथ एक अभ्यास पुस्तिका भी दी जाएगी। इसमें हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और रंग भरने से जुड़े सवाल होंगे जिनका उत्तर बच्चों को देना होगा।

वहीं, कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को कंप्यूटर की किताब दी जाएगी जिसमें उन्हें कंप्यूटर चलाने और उसकी बारीक जानकारी दी जाएगी। इस बार किताबों में सड़क सुरक्षा, सफाई और स्वास्थ्य जैसे विषय भी जोड़े गए हैं।

2 मई तक स्कूलों में लगेंगे वितरण कैंप

छात्रों को नए सत्र के पहले दिन ही किताबें देने के लिए 2 मई तक स्कूलों में विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं।

अपार ID को लेकर सख्ती

सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की बैठक सिन्हा लाइब्रेरी सभागार में हुई, जिसकी अध्यक्षता डीईओ संजय कुमार ने की। बैठक में ज़ोर दिया गया कि सभी नामांकित बच्चों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक रजिस्ट्री (अपार ID) तैयार की जाए।

अभी तक केवल 52% बच्चों की अपार ID बन पाई है, जो चिंता का विषय है। जिन स्कूलों में 75% से कम बच्चों की ID बनी है, वहां के प्रधानाध्यापकों को हटाकर अन्य शिक्षकों को ज़िम्मेदारी दी जाएगी।

नामांकन में पारदर्शिता जरूरी

बैठक में यह चिंता जताई गई कि कुछ स्कूलों में नामांकन के दौरान अभिभावकों से पैसे मांगे जा रहे हैं। डीईओ ने साफ़ निर्देश दिए कि कक्षा 1 से 9 तक के नामांकन में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी बरती जाए। अगर भविष्य में ऐसी कोई शिकायत मिली, तो संबंधित प्रधानाध्यापकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पंचायत या जिला बदलने के लिए लेनी होगी अनुमति

यदि कोई विद्यार्थी कक्षा 8 तक अपनी पंचायत में पढ़ चुका है और अब कक्षा 9 से किसी दूसरी पंचायत या जिले में पढ़ना चाहता है, तो उसे बीईओ या संबंधित डीईओ से अनुमति लेनी होगी। जो विद्यार्थी लगातार 15 दिन तक स्कूल नहीं आते हैं, उनका नामांकन रद्द किया जाएगा।

स्वच्छता और अनुशासन पर ज़ोर

डीईओ ने स्कूल परिसर को साफ-सुथरा रखने और बच्चों में अनुशासन बढ़ाने पर ज़ोर दिया। हर कक्षा के बाहर दो डस्टबिन रखने और बच्चों को साफ़-सफाई के बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए गए।

साथ ही सभी प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को यह भी कहा गया कि वे स्कूल में प्रवेश करने से पहले धरती को छूकर प्रणाम करें। इससे बच्चों में भी संस्कार विकसित होंगे और वे अपने घर के बुजुर्गों का सम्मान करना सीखेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न।

किन बच्चों को सरकारी स्कूलों में मुफ्त किताबें दी जा रही हैं?

राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों को मुफ्त किताबें दी जा रही हैं। यह सुविधा केवल सरकारी या सरकार-मान्यता प्राप्त स्कूलों के छात्रों के लिए है।

किताबें कब तक छात्रों को मिलेंगी?

किताबों का वितरण अप्रैल से शुरू होकर मई के पहले सप्ताह तक पूरा किया जा रहा है। कई स्कूलों में 2 मई तक विशेष कैंप लगाकर किताबें वितरित की जा रही हैं। अगर आपके स्कूल में अभी तक किताबें नहीं मिली हैं, तो जल्द ही दी जाएंगी।

अगर किसी छात्र को किताबें नहीं मिली हैं तो क्या करें?

अगर किसी छात्र को किताबें नहीं मिली हैं, तो वह अपने क्लास टीचर या स्कूल के प्रधानाध्यापक से संपर्क करें। जरूरत पड़ने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) या जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) से भी शिकायत की जा सकती है।

क्या इन किताबों की क्वालिटी की जांच होती है?

हाँ, सरकार द्वारा किताबों की गुणवत्ता की जांच की जाती है। यदि कोई किताब खराब निकलती है, तो उसे तुरंत बदला जाता है। वितरण के दौरान इसका रिकॉर्ड और फोटो भी रखा जाता है।

क्या निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी मुफ्त किताबें मिलेंगी?

नहीं, यह सुविधा केवल सरकारी और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों के छात्रों के लिए है। निजी स्कूलों के छात्रों को ये किताबें मुफ्त में नहीं मिलतीं।

निष्कर्ष

सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त किताबें उपलब्ध कराना एक सराहनीय कदम है, जिससे लाखों बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर मिल रहे हैं। समय पर किताबों का वितरण यह सुनिश्चित करता है कि नया सत्र बिना किसी रुकावट के शुरू हो सके। यदि आप या आपके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, तो जल्द से जल्द स्कूल से संपर्क करें और सुनिश्चित करें कि किताबें समय पर मिल जाएं। यह योजना न सिर्फ आर्थिक बोझ कम करती है, बल्कि बच्चों के भविष्य को मजबूत बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास भी है।

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